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और क़सम टूट जाए तो मैं क्या करूँ
मुझ को मैं खुश समझता है मयकश समझते हैं सब बड़ा खुशवादाकशक्यूँ के क्यूँकि उनकी तरह लड़खड़ाता हूँ मैं
मेरी रग रग में नशा मुहब्बत का है
जो समझ में ना आए तो मैं क्या करूँ