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शायद पृथ्वी तैर रही है,
मुझे मालूम नहीं ।
शायद एक विशाल कैंची से काट-काटकर
बनाए गए हैं नन्हें सितारे
मुझे नहीं मालूम ।
शायद चान्द एक जमा हुआ आँसू है
मुझे नहीं मालूम ।
शायद ईश्वर एक गहरी आवाज़ है,
जिसे सुना है बहरों ने
मुझे नहीं मालूम ।
शायद मैं कोई नहीं हूँ
सच तो यह है कि मैं एक शरीर हूँ
और मैं इससे बच नहीं सकती ।
मैं चाहूँगी कि उड़ूँ मैं अपने सिर के ऊपर से
लेकिन सवाल इस बारे में नहीं है ।
मेरे भाग्य के पटल पर यही लिखा है
कि मैं यहाँ फँस जाऊँगी मानव के रूप में ।
ऐसा ही हो रहा है
मैं अपने इस मसले की ओर ध्यान दिलाना चाहूँगी ।
मेरे भीतर एक जानवर बैठा है
एक विशाल केकड़ा
जो तेज़ी से भींच रहा है मेरे दिल को ।
बोस्टन के डॉक्टरों ने
अपनी सभी कोशिशें छोड़ दी हैं
उन्होंने शल्य-ब्लेड, सुइयों, ज़हर और गैसों का
इस्तेमाल किया
उन्होंने हर उस चीज़ का इस्तेमाल करने की कोशिश की
जो उन्हें पसन्द आई
लेकिन केकड़ा वहीं बना रहा ।
वह बेहद भारी है
मैं उसे भूलने की कोशिश करके
अपने काम में डूब जाती हूँ ।
 
मैं गोभी की सब्ज़ी पकाती हूँ
किताबों को खोलती हूँ और फिर बन्द कर देती हूँ
मैं अपने दाँत साफ़ करती हूँ
और अपने जूतों के फीते बान्धती हूँ
मैं प्रार्थना करती हूँ
लेकिन जब मैं प्रार्थना करती हूँ
तो केकड़े की पकड़ और सख़्त हो जाती है
और दर्द बहुत बढ़ जाता है ।
 
मैंने एक बार एक सपना देखा था
शायद वह सपना ही था
कि वह केकड़ा
ईश्वर से मेरी बेख़बरी है
लेकिन सपनों पर विश्वास करके
मुझे क्या मिलेगा ?
'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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