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काशी गो छोरौ / राजेन्द्र देथा

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काशी गो छोरौ
आवै स्यैर स्यूं गांव
चंद्रयान परछेपण आले दिन
काशी उण री ऊडीक मांय
टेशण माथै बैठ्यौ फूंकै
बीड़ी माथै बीड़ी लारला दो घंटां ऊं

छोरौ आंवतौ इ पगां लाग'र
बतावै बापू नै-
"बापू आज आपणै देस
चांद माथै राकेट भेजण री खेचल करी है"

काशी इण बात नै
पांचवी बीड़ी सागै उडाय'र केवै-
"दरडे़'म जावै चांद अर दूजै'म देस
तू तो ओ बता नै'र मांय पाणी कद आसी?

"कीं पतौ?
</poem>
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