भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

इन दिनों / राजेन्द्र देथा

1,218 bytes added, 12:15, 29 नवम्बर 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्र देथा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=राजेन्द्र देथा
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
इन दिनों कविताओं ने
बचा रखी है जिंदगी को
प्रेम को शाश्वत रख रखा है
प्रेम कविताओं ने, नज्मों ने
कॉमरेड इन दिनों जुगत में है
गरीबों, शोषितों के दुखों को
उल्लेखित करने में
बच गया है जीवन का
आत्मिक दर्शन,
मात्र दार्शनिक के गद्य में
परसों गुजर रहा था
शहर बीच वाली
चाय की थड़ी से
तमाम तरह के कवियों
दार्शनिकों, कवियत्रियों
का एक धड़ा संतुलित करने
की जुगत में लगा हुआ था
अपने आंतरिक असहमतियों को
बाह्य सहमतियों से!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits