भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोशी आँचल / एस. मनोज

926 bytes added, 06:44, 9 दिसम्बर 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एस. मनोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कोशी कमला नदी का देखो
जाल यहां है फैला सा
रेणु की धरती को देखो
आँचल इसका मैला सा

बाढ़ की विपदा यहां है आती
जीवन सबका नरक बनाती
जल ही जीवन नहीं है भैया
जब उफनाती कोशी मैया

जल ही जल चहुँओर है रहता
घर आंगन सब जल में बहता
फिर होता राहत का खेल
लूटपाट का रेलम पेल
दिल्ली पटना भाग्य विधाता
जय हो सेवक जय हो दाता।
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits