भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <p...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एस. मनोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कोशी कमला नदी का देखो
जाल यहां है फैला सा
रेणु की धरती को देखो
आँचल इसका मैला सा
बाढ़ की विपदा यहां है आती
जीवन सबका नरक बनाती
जल ही जीवन नहीं है भैया
जब उफनाती कोशी मैया
जल ही जल चहुँओर है रहता
घर आंगन सब जल में बहता
फिर होता राहत का खेल
लूटपाट का रेलम पेल
दिल्ली पटना भाग्य विधाता
जय हो सेवक जय हो दाता।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=एस. मनोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कोशी कमला नदी का देखो
जाल यहां है फैला सा
रेणु की धरती को देखो
आँचल इसका मैला सा
बाढ़ की विपदा यहां है आती
जीवन सबका नरक बनाती
जल ही जीवन नहीं है भैया
जब उफनाती कोशी मैया
जल ही जल चहुँओर है रहता
घर आंगन सब जल में बहता
फिर होता राहत का खेल
लूटपाट का रेलम पेल
दिल्ली पटना भाग्य विधाता
जय हो सेवक जय हो दाता।
</poem>