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एक कप कॉफी / पूनम गुजरानी

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कहो...
कहो आओगे ना
जब सांझ उतरने लगेगी
पर्वत के उस पार
झील के किनारे
जहाँ एक कप कॉफी
कर रही है
तुम्हारा इंतज़ार।
</poem>
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