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कोई दीवाना कहता है (कविता) / कुमार विश्वास
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16:35, 7 अक्टूबर 2008
"समंदर पीर का है अन्दर, लेकिन रो नही सकता" ! की जगह "समंदर पीर का अन्दर है , लेकिन रो नही सकता "
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!
समंदर पीर का
है
अन्दर
है
, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!
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अनूप.भार्गव