नमन करो इस शब्द पुरुष को
जिसकी वर्षगांठ हमने मनाया है
अद्भुत शत्तिफशक्ति, समुंदर सा ध्ीरजधीरज
चेहरा जिसका मन को भाया है
दुबला-पतला सीघा-साध
पहली बार जब देऽी देखी कायाअद्भुत शत्तिफशक्ति, समुंदर सा ध्ीरजधीरज
चेहरा जिसका मन को भाया है
नाम अशांत पर दिल में शांति
पिफर फिर भी अशांत भोला है
प्रेम देने पर ये होते शबनम
घृणा पर तो शोला है
सादा जीवन उच्च विचार
ही इनकी आधर शिला है
मगर प्रेम प्रसंग काव्य में इनके
रंगीन पफूलों फूलों सा ऽिला खिला है
पैर पजामा तन में मलबरी कुर्त्ता
जैसा किसी जवान में
कविता लिऽना लिखना गोष्ठी करनाइनकी रत्तफ धरा रक्त धारा है
नवसृजित कवियों का काव्य
इन्हें बहुत ही प्यारा है
साठ वर्षों की लेऽनी लेखनी में
प्रेम प्रसंग की है उमंग
कलम इनकी ऐसी पिचकारी