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कितना खामोश है जहां लेकिनइक सदा आ रही है कानों में कोई सोचे तो फ़र्क कितना हैहुस्न और इश्क के फ़सानों में मौत के भी उडे हैं अक्सर होशज़िन्दगी के शराबखानों में जिन की तामीर इश्क करता हैकौन रहता है उन मकानों में इन्ही तिनकों में देख ऐ बुलबुलबिजलियां भी हैं आशियानों में नातवान = कमजोर<br/poem>