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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
'''मैं सूरज हूँ'''
अस्ताचल जाऊँगा
भोर होते ही
'''फिर चला आऊँगा'''
द्वार तुम्हारे
किरनों का दोना ले
गीत अर्घ्य दे
मैं गुनगुनाऊँगा
रोकेंगे लोग,
न रुकूँगा कभी मैं
मिटाना चाहें
कैसे मिटूँगा भला
खेत-क्यार में
'''अंकुर बनकर'''
उग जाऊँगा
शब्दों के सौरभ से
सींच-सींच मैं
फूल बन जाऊँगा
आँगन में आ
तुमको रिझाऊँगा
छूकर तुम्हें
गले लग जाऊँगा
दर्द भी पी जाऊँगा।
-0-
</poem>
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|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
'''मैं सूरज हूँ'''
अस्ताचल जाऊँगा
भोर होते ही
'''फिर चला आऊँगा'''
द्वार तुम्हारे
किरनों का दोना ले
गीत अर्घ्य दे
मैं गुनगुनाऊँगा
रोकेंगे लोग,
न रुकूँगा कभी मैं
मिटाना चाहें
कैसे मिटूँगा भला
खेत-क्यार में
'''अंकुर बनकर'''
उग जाऊँगा
शब्दों के सौरभ से
सींच-सींच मैं
फूल बन जाऊँगा
आँगन में आ
तुमको रिझाऊँगा
छूकर तुम्हें
गले लग जाऊँगा
दर्द भी पी जाऊँगा।
-0-
</poem>