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[[Category: चोका]]
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अरी अभागीअमृत बाँटआँसू की गठरियासिर पे ढोईउनको नागफनीउगाते देखतुम कितना रोई !वाणी के शरपल-पल तुझकोरहे बींधतेघायल हो भीष्म-सी कभी न सोईदु:ख तेरा बेधकरहा रुलाताअभिशापों की नईकथा सुनाता
तू जब-जब जागी
गर्म छड़ों से
गर्म आँसू थे छाने
झोली भरके
अरी तूने कोकिला!
तुझे जग का
था दु:ख-दर्द मिला
कब तुमने जाना
सिर्फ़ पढ़ा था
कभी कथा-गीत मे में
लिखी भाग में
सदा कँटीली शय्या
शर का सिरहाना
 
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