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19:00, 28 अगस्त 2008 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= अंतराल / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>
:आज बरसों की पुरानी आ रही है याद !
:सामने जितना पुराना पेड़ है
::उतनी पुरानी बात,
:हो रही थी जिस दिवस आकाश से
::रिमझिम सतत बरसात,
:छिप गया था श्यामवर्णी बादलों में चाँद !
:तुम खड़ी छत पर, अँधेरे में सिहर
::कर गा रही थीं गीत,
:पास आया था तभी मैं भी ; मिले
::थे स्नेह से दो मीत ;
:आज नयनों में उसी का शेष है उन्माद !
:1949