भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खुद वीं भग्यानी की / ओम बधानी

1,436 bytes added, 11:43, 6 फ़रवरी 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम बधानी }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> हिया रणमिण...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम बधानी
}}
{{KKCatGadhwaliRachna}}
<poem>
हिया रणमिणी लगैगे-लगैगे
खुद वीं भग्यानी की
मन उदासू सरैगे-सरैगे
खुद वीं भग्यानी की

खांद खै नि सक्यौं,स्येंद स्यै नि सकी
उठि हूक इनी हिटि न थौ खै कखी
हवै तवै मचैगे-मचैगे
खुद वीं भग्यानी की

भीड़ म ह्वैक भि एकुलू बेकुलू
वींकु सोर,रटन कब मुखुड़ि देखुलू
पापी फक-फक रूवैगे-रूवैगे
खुद वीं भग्यानी की

रूप घनघोर थौ,ज्वानि झकाझोर थै
दुन्या म हैंकि नि देखि, क्वी वीं से सवै
माया कुरमुरी जगैगे -जगैगे
खुद वीं भग्यानी की

गैल्या चखुला दीदे,पंखूर मैसणी
अंग्वाळि लगी भेंटि औलु वीं सणी
मेरू मन तरसैगे-तरसैगे, खुद वीं भग्यानी की
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits