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{{KKRachna
|रचनाकार=ओम बधानी
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मुखड़्यौं म बसंत जिकुड़्यौं म उलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
भांति-भांति की मिठै, रंगू कि छलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
टल्खि फूलु कि ओढि मुल-मुल हैंसणी
ब्यौलि सि डांडि कांठी भली सजणी
सितगौं म मौळ्यार,ठंगरौं म फुलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
अबीर गुलाल हुळेरू कि टोल
लपोड़ा लपोड़ि खतेणान् होरि क बोल
ढोल बाजणा मंजीर क बोल हफार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
दुस्मनै भूलि क आज मन खोलि क
पक्यां पित्त उल्टा, हैंसिक बोलिक
गळा भेंट्यै जावा ल्यावा द्यावा प्यार
एैगे-एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
चखना न करा द्यूर जी रा फंडै
जरसि मुखड़ी रंगलू बौजि आवा उंडै
जीजा स्याळी बौ की द्यूरू कि मजाक
ल्येकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
मेरू रंग प्यारी मेरा हाथ म रैगे
दुन्यां होळि म रंगीं तु कख रैगे
औ दौड़ि झट्ट न कर अबेर
एैगे-एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
</poem>
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|रचनाकार=ओम बधानी
}}
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मुखड़्यौं म बसंत जिकुड़्यौं म उलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
भांति-भांति की मिठै, रंगू कि छलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
टल्खि फूलु कि ओढि मुल-मुल हैंसणी
ब्यौलि सि डांडि कांठी भली सजणी
सितगौं म मौळ्यार,ठंगरौं म फुलार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
अबीर गुलाल हुळेरू कि टोल
लपोड़ा लपोड़ि खतेणान् होरि क बोल
ढोल बाजणा मंजीर क बोल हफार
लेकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
दुस्मनै भूलि क आज मन खोलि क
पक्यां पित्त उल्टा, हैंसिक बोलिक
गळा भेंट्यै जावा ल्यावा द्यावा प्यार
एैगे-एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
चखना न करा द्यूर जी रा फंडै
जरसि मुखड़ी रंगलू बौजि आवा उंडै
जीजा स्याळी बौ की द्यूरू कि मजाक
ल्येकि एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
मेरू रंग प्यारी मेरा हाथ म रैगे
दुन्यां होळि म रंगीं तु कख रैगे
औ दौड़ि झट्ट न कर अबेर
एैगे-एैगे-एैगे होळी कु त्यौहार
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