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|रचनाकार=बीना बेंजवाल
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स्यूँकुटुमदारि जाँद
हर साल जातरा
जैन नि करि
मरदि दां
ब्वे-बुबै
मुखजातरा।
</poem>
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स्यूँकुटुमदारि जाँद
हर साल जातरा
जैन नि करि
मरदि दां
ब्वे-बुबै
मुखजातरा।
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