भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुसुम ख़ुशबू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुसुम ख़ुशबू
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कभी घर से बाहर भी आकर तो देखो
ज़माना है क्या आज़माकर तो देखो

तबस्सुम तुम्हारे भी लब चूम लेना
किसी ग़मज़दा को हंसाकर तो देखो

तुम्हें इक अनोखी ख़ुशी सी मिलेगी
किसी के कभी काम आकर तो देखो

महब्बत की बातें बहुत हो चुकी हैं
वतन का भी अब गीत गाकर तो देखो

उड़ानों के क़िस्से सुनाएगा ख़ुशबू
किसी टूटे पर को उठाकर तो देखो
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits