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इन्तज़ार किया तूने मेरा, ज़िन्दगी !
सिर्फ़ तूने मुझे बचाया
 
'''लीजिए, अब एक दूसरे रूप में यही कविता पढ़िए'''
 
इंतज़ार करो मैं लौटूंगा
 
इंतज़ार करो मैं लौटूंगा
इंतज़ार करो तुम मेरा
इंतज़ार करो पीली बारिश में
जब दुख का हो डेरा
इंतज़ार करो जब गर्मी हो तेज़
जब बर्फ़ गिरे भारी
इक-दूजे को जब भूलें सब
ग़म ही ग़म हो तारी
जब ख़त आने भी बंद हो जाएं
और थकें सब लोग
इंतज़ार करो तब तुम मेरा
महसूस करो वियोग
 
इंतज़ार करो मैं लौटूंगा
जब सब भूलेंगे मुझको
उस घड़ी मैं लौटूंगा मेरी जां
जब कहेंगे-भूलो उसको
जब बच्चे ये विश्वास करेंगे
और मां कहेगी-वो नहीं रहा
जब दोस्त कहेंगे-थक चुके हम तो
अब वो आएगा कहां
फिर खिड़की के बैठ किनारे
सब मुझको याद करेंगे
और याद कर-करके मुझको
सब अपना जाम भरेंगे
तुम तब भी मत घबराना
न पीना जाम तुम मेरा
इंतज़ार करो मैं लौटूंगा
इंतज़ार करो तुम मेरा
 
जब लौटूंगा दे मौत को धोखा
सब दंग रह जाएंगे
कैसे मैं ज़िंदा लौट आया आख़िर
बस ये समझ न पाएंगे
तेरे कारण ही लौटा मैं
तूने मुझे बचाया है
बस तू और मैं यह जानेंगे
तूने मुझे जिलाया है
बस तेरे कारण ही ज़िंदा मैं
बस तूने दिया मौत को फेरा
बस तूने सोचा था लौटेगा
बस इंतज़ार किया तूने ही मेरा !
'''मूल रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
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