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किसी से कुछ नहीं बेशक कहा है।
मगर सब कुछ तो मैंने ही सहा है।
दवा की और दुआ भी उसके हक में,
वो पागल था,वो पागल ही रहा है।
 
तपिश में आग की जलना नहीं कुछ,
मिरा दिल बर्फ़ में अक्सर दहा है।
 
भलाई कर के हमने देख ली पर,
बुराई के सिवा कब कुछ गहा है।
 
अदब की राह पर चलना हमेंशा,
कि जिस पर ‘नूर’ रहमत का बहा है।
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