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माहिए (81 से 90) / हरिराज सिंह 'नूर'

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|संग्रह=बादे सबा / हरिराज सिंह 'नूर'
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<poem>
81. साईं ने जो गाया था
सच था वो सौ फ़ीसद
‘रब’ एक बताया था

82. यादों में बहेंगे हम
तुझसे मुहब्बत है
कहते है, कहेंगे हम

83. तारा कोई जब टूटे
रात के दामन से
मुझसे, मिरा मन रूठे

84. चलती है ये टिक-टिक कर
उम्र-घड़ी ऐसी
रुक जाए जो मरने पर

85. कुछ भी न ये बोलेगी
दिल की तराज़ू है
ग़म आप ही तोलेगी

86. जीवन है तो आशा से
कितने दुख आएं पर
डरता न निराशा से

87. आना है तो आना है
नींद कहाँ देखे
किन आँखों में छाना है

88. डरती न लुटेरों से
जलती हुई बाती
लड़ जाए अँधेरों से

89. देखें जो नज़ारे हम
भूल नहीं सकते
ये दावा करें हमदम

90. आकाश से उतरी है
बूँद जो पानी की
वो फूल पे निखरी है
</poem>
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