भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
दुख की मार सहे;
हाड़ फोड़करफोड़ कर
निकले आँसू
टप टप बहुत बहे ।