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{{KKRachna
|रचनाकार=निलिम कुमार
|अनुवादक=अनिल जनविजय
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<poem>
चींटियों से बाँबी बाम्बी और उसके क़रीबबाँसों बांसों के कुटुम्ब।
बड़ी उम्र के नर, मोहक मादा
और, उनकी झालरें थामते उनके आँचल थामे हुए शिशुहम उनके क़रीब खेला करते, उनकी टहनियों और पत्तों के करीब,क़रीब ।
उनकी छायाओं के पास
उनके संग हमें खेलते देख बड़ी उम्र के नर गुर्राने लगते.।मेरी छोटी बहन बाँबी बाम्बी पर बैठी थी,
अपनी छाती पर नन्हें स्तनों के चिह्न लिए ।
'''मूल बांगला से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
</poem>