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मोरियो पगाँ कानी देख गै रोवै
{{Welcome|महावीर जोशी पूलासर|महावीर प्रसाद जोशी पूलासर}}
== मोरियो पगा कानी देख गे रोवै == क्यु क्यूँ जी सोरो करै,मिनखपरायै घरां गी बाताँदुसरा गै घर री बाता सुण सुण गेजकी बा दुसराँ गै, जकी बी घर मॆ हॊवण लागरी घरां मे होवण लाग री है बा ही तॊ तॆरॆ तो तेरे घर मॆ हॊवॆ,मे हुवै तु भीत तुं भींत रै चिप्यॊडॊ चिप्योड़ो इनै,बो भी तो बिनेबॊ ही तॊ बिनॆ चिप्यॊडॊ खड्यॊ चिप्योड़ो खड़यौ है,क्यूँ कोनी सोचे तूं कैक्यु नी सॊचै तु कै ..भीता कै भीँता गै भी कान हॊवॆ,होवैआज तु तुं सुणसी बिंगीकाल बॊ तॆरी बो तेरी सुणसी, क्यु सरमा क्यूँ सरमाँ मरै,मिनख मॊरीयॊ पगा मोरियो पगाँ कानी दॆख गॆ रॊवै ,देख गै रोवै*********रचना: महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर
== ये केसा संसार है ==