भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' }} Category:...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
'''तोता''' टें-टें करता है
कुहू- कुहू '''कोयल''' गाती ।
टिवी-टू-टि-टिट्-टिवी-टि-टिट्
चीख '''टिटिह'''री चिल्लाती ।
छत पर घूमे इधर-उधर
करे '''कबूतर''' गुटर्र गूँ ।
'''गौरैया''' घर में चहकी
चीं-चीं-चीं-चीं, चूँ- चूँ-चूँ ।
सुबह जाग '''मुर्गा''' बोला-
कुकड़ू-कूँ कुड़- कुकड़ू-कूँ ।
बैठ नीम की डाली पर
करती '''फाख्ता''' -तूहू -तू ।
जब-जब बादल घिरते है
पिहू -पीहू करता '''मोर''' ।
‘कोवा-कोवा का-का-का’
'''जलमुर्गी''' करती है शोर ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
'''तोता''' टें-टें करता है
कुहू- कुहू '''कोयल''' गाती ।
टिवी-टू-टि-टिट्-टिवी-टि-टिट्
चीख '''टिटिह'''री चिल्लाती ।
छत पर घूमे इधर-उधर
करे '''कबूतर''' गुटर्र गूँ ।
'''गौरैया''' घर में चहकी
चीं-चीं-चीं-चीं, चूँ- चूँ-चूँ ।
सुबह जाग '''मुर्गा''' बोला-
कुकड़ू-कूँ कुड़- कुकड़ू-कूँ ।
बैठ नीम की डाली पर
करती '''फाख्ता''' -तूहू -तू ।
जब-जब बादल घिरते है
पिहू -पीहू करता '''मोर''' ।
‘कोवा-कोवा का-का-का’
'''जलमुर्गी''' करती है शोर ।
</poem>