भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=नागार्जुन
}}
{{KKVID|v=LxWbzZKgdfM}}
{{KKCatKavita}}
{{KKPrasiddhRachna}}
आओ बन्दनवार सजायें,
खुशियों में डूबे उतरायें,
आओ तुमको सैर करायें--
उटकमंड की, शिमला-नैनीताल की
आओ रानी, हम ढोयेंगे पालकी!