भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
धरो ध्यान रै धरो ध्यान रै धरो ध्यान रै
सच्चे ईश्वर म्हं
तर्ज-पंजाबी (घर म्हं नहीं री कोए देवर तेरा आरया)
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,194
edits