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Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नोमान शौक़
}}
आदी हो चुके हैं ये शब्द<br />
नेताओं की भाषा बोलने के<br />
तंग आ चुके हैं शब्दकोश<br />
जो कुछ मैं लिख रहा हूं हूँ आज<br />न जाने क्या क्या अर्थ निकाले जाएंजाएँ<br />
कल इन्ही शब्दों से<br />