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{{KKRachna
|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
रात म्हासूं
बंतळ करती सोयगी
बा कदैई रोवती ही
कदैई हंसती ही
म्हैं नीं समझ सक्यो
उणरै रोवण अर हंसण रो कारण
जद पूछूं
तद अेक ई बात कैवै -
कांई करसी थूं जाण‘र
दिन रा घोबा
रात नैं ईज दुख देवै
थूं ई सोयजा
अर म्हैं ई
सोवण रो करूं जुगाड़।
</poem>
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|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
|अनुवादक=
|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
रात म्हासूं
बंतळ करती सोयगी
बा कदैई रोवती ही
कदैई हंसती ही
म्हैं नीं समझ सक्यो
उणरै रोवण अर हंसण रो कारण
जद पूछूं
तद अेक ई बात कैवै -
कांई करसी थूं जाण‘र
दिन रा घोबा
रात नैं ईज दुख देवै
थूं ई सोयजा
अर म्हैं ई
सोवण रो करूं जुगाड़।
</poem>