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लोग / इरशाद अज़ीज़

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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
लूवां रा झपेटा
म्हारै डील नैं
कुंदण बणा देवै

अर म्हैं बगत री
आंख्यां मांय आंख्यां घाल
हमेसा आ ईज कैवूं
मरणो सगळां नैं है
पण जीते-जी
म्हारै लोही नैं
ठंडो नीं पड़ण दूं।
</poem>
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