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थूं कर / इरशाद अज़ीज़

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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
आंख्यां मींच
अंधारो कर लूं
आ कदैई नीं हुय सकै
उजास रो मतलब जाणूं हूं
जीवण री हूंस जिकां मांय हुवै
बै अंधारौ नीं ढोवै
साच नैं आंच
कदैई नीं आवण देवै
थूं कर
जीवण रा जतन अर
रिस्तां रो मोल पिछांण।
</poem>
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