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|रचनाकार= इरशाद अज़ीज़
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|संग्रह= मन रो सरणाटो / इरशाद अज़ीज़
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<poem>
कुण दिया थांनै
पीळा चावळ
कुण हेलो कर्यो कै
आवो अर मांडो कवितावां
अंधारै सूं आफळ
बै ईज करसी
जिका आपरै बगत रै
अणमावतै अंधारै सूं नीं डरै
जिका जी सी
बांनै लड़णो पड़सी
नींतर भाग जावो इत्ता दूर
जठै नीं हुवै मिनखपणो
नीं हुवै कवितावां।
</poem>
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