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ख़ुशनुमाई देखना ना क़द किसी का देखना / हस्तीमल 'हस्ती'
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09:30, 17 जून 2020
फ़ासले से कोई मेला जैसे तन्हा देखना
देखना आसाँ
हैं
है
दुनिया का तमाशा
साहबान
साहिबान
है बहुत मुश्किल मगर अपना तमाशा देखना
</poem>
Abhishek Amber
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