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मन सूखे पौधे लगते हैं / देवेन्द्र आर्य
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03:47, 18 जून 2020
आग नहीं तासीर से डरना
ठंडी दिखती है जलती है
पल-पल बदल रहे हैं फिर भी हर
पर
पल
इकलौते लगते हैं।
भरता जाता रिसता जाता
Abhishek Amber
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