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राहों के थे उसूल, अभी कल की बात है
ये राम वो रसूल, अभी कल की बात है
आती थी बात जब भी वतन के व़कार वक़ार की
क़ुरबानी थी क़ुबूल, अभी कल की बात है
अपनी तो ख़ैर गिनती दीवानों दिवानों ही में रही
करते थे तुम भी भूल, अभी कल की बात है
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