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Kavita Kosh से
:प्रार्थना की एक अनदेखी कड़ी
बाँध देती है, तुम्हारा मन, हमारा मन,
फिर किसी अनजान आशीर्वाद में-डूबनडूबकर
:मिलती मुझे राहत बड़ी!