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{{KKRachna
|रचनाकार=महादेवी वर्मा
|अनुवादक=
|संग्रह=सांध्यगीत / महादेवी वर्मा
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<poem>अश्रु मेरे माँगने जब<br>नींद में वह पास आया!<br><br>
अश्रु मेरे माँगने जब<br>नींद में वह पास आया!<br>स्वप्न सा हँस पास आया!<br><br>
हो गया दिव की हँसी से<br>शून्य में सुरचाप अंकित;<br>रश्मि-रोमों में हुआ<br>निस्पन्द तम भी सिहर पुलकित;<br><br>
अनुसरण करता अमा का<br>चाँदनी का हास आया!<br><br>
वेदना का अग्निकण जब<br>मोम से उर में गया बस,<br>मृत्यु-अंजलि में दिया भर<br>विश्व ने जीवन-सुधा-रस!<br><br>
माँगने पतझार से<br>हिम-बिन्दु तब मधुमास आया!<br><br>
अमर सुरभित साँस देकर,<br>मिट गये कोमल कुसुम झर;<br>रविकरों में जल हुए फिर,<br>जलद में साकार सीकर;<br><br>
अंक में तब नाश को<br>लेने अनन्त विकास आया!<br><br/poem>
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