भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ढ़ाई सौ की घड़ी बँधाई है …<br>
-भूरी भैंस का री अम्मा दूध काढ़िकाढ़ियो <br>यो
-हारे मैं खीर रँधायो री…<br>
-जितना पतीले मैं दूध घणा है<br>
Anonymous user