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घर का कोना-कोना महका,
आंगन का सूनापन चहका,
खुशबू फैली दूर-दूर तक
शायद चंदन वन से इसने
मलयज की झोली भर लाई।
राहत मिली सभी को थोड़ी,
सबने उखड़ी सासें जोड़ी,
पिछवाड़े में जाकर इसने
नई निबौरी जीभर तोडी,
शीतलता ने सरस परस से
रोम-रोम में प्रीत जगाई।
झूम उठी बगिया कि क्यारी,
पंखुरियाँ लगती अति प्यारी,
टिटकारी सुनकर टिटही की
कली-कली भारती भरती किलकारी,
सबके मन में नई खुशी की
मीठी-मीठी लहर समाई।
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