भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आके मिल जाओ / कविता भट्ट

No change in size, 09:13, 30 जुलाई 2020
प्रियतम! दीपों की टोली, तुम रंग भी हो रंगोली।
थाल पूजा की का हो पावन कि मेरे घनश्याम हो तुम।
</poem>