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<poem>
 
प्रतिध्वनित
पल-प्रतिपल
'''हूक तेरी घाटियों में''''''टेरती मुझको।'''
और सब सुधियाँ
मधुरता पान करके
उजाले द्वार पर
तेरे धरूँगा।
 </poem>
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