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ढह गया दिन / अंकित काव्यांश
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02:10, 3 अगस्त 2020
चान्दनी का महल
हिलता दीखता है
चान्द
चांद
रोता इस क़दर बुनियाद में।
कल मिलेंगे आज खोकर कह गया दिन।
Abhishek Amber
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