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लोटा भर पानी सूरज पर चढ़ा चढ़ाकर हार गए हैं।
अबके बार सुना हैं है चन्दा जुटा जुटा हरिद्वार गए हैं। 
गंगाजल भरकर लाएंगे शायद वो फूटी थाली में।
आओ पत्तों की ढेरी में आग लगाकर हाथ सेंक लें।
 
अगर कनस्तर खाली हैं तो गन्दी थाली नही मिलेगी।
बकरी गाय शुअर संभालू तो हरियाली नही मिलेगी।
 
लो फिर से नवजात मिली है सुबह सुबह गन्दी नाली में
आओ पत्तों की ढेरी में आग लगाकर हाथ सेंक लें।
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