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Kavita Kosh से
आज उसके गाँव में उल्लास है, रात की उस लूट पर सब मुग्ध हैं।
उल्लुओं के न्याय में दिन था नहीनहीं
रात वाली बात को धोखा कहा।
चोर नौकर, मालकिन या न्याय था