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गाड़ी गुजरीं गुज़रीं अनगिनत, होता हृदय अधीर।फोन फ़ोन नहीं पिय का लगे, नैनन बहता नीर।।
गुमसुम बैठी सोचती,लेकर मन में आस।
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