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|रचनाकार=सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
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<poem>
नए ज़माने का वरदान
बनकर आया यह कंप्यूटर।
सबको दिखाता अपना कमाल
धूम मचाता यह कंप्यूटर॥

दिखता है साधारण पर
ज्ञान बढ़ाता यह कंप्यूटर।
घर बैठे दुनिया भर की
सैर कराता यह कंप्यूटर॥

हिंदी, गणित, विज्ञान हो चाहे
कभी डरे न कंप्यूटर।
पल भर में सब हल करता है
सबसे तेज यह कंप्यूटर॥

रोते बच्चे हंस देते हैं
खेल खेल के कंप्यूटर।
पढ़ना चाहे तो है पढ़ाता
ज्ञान का सागर यह कंप्यूटर॥

इंटरनेट ईमेल सभी का
पाठ पढ़ाता कंप्यूटर।
नए ज़माने में है आया
शिक्षक बनकर यह कंप्यूटर॥
</poem>
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