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|रचनाकार=सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
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<poem>
लड़की घर की शान है
वह जग का सम्मान है।
माता-पिता का फैले नाम
करती ऐसा काम है॥

लड़की के बिन घर है सूना
कभी उसे न हम रुलाना।
प्रेम से उसको ऐसे रखना
खुशियाँ बनें उसका गहना।

लड़की से न भेद करें हम
उनका मान सम्मान करें हम।
ध्यान रखें हम उनका हरदम
वही हमारे जीवन का मरहम।
</poem>
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