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|रचनाकार=सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
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<poem>
सत्य की मूरत गांधीजी
प्रेम की मूरत गांधीजी।
अहिंसा कि मूरत गांधीजी
न्याय की मूरत गांधीजी।

जग में प्यारे गांधीजी
घर-घर अपने गांधीजी।
शांतिदूत श्रेष्ठ गांधीजी
सबके दिल में गांधीजी।

कल भी थे गांधी जी
आज भी हैं गांधीजी।
कल भी रहेंगे गांधीजी
जग की आस हैं गांधीजी।
</poem>
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