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{{KKRachna
|रचनाकार=सुरेश कुमार मिश्रा 'उरतृप्त'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
सूरज किरणें लाता है
कलियाँ सारी खिलाता है।
अंधकार मिट जाता है
जब रोशनी वह फैलाता है॥
सूरज देखकर चिड़िया जागें
दुम दबाकर आलस भागे।
सेहत और फूर्ति के साथ
लेकर चलता वह आगे-आगे॥
सूरज है समय का वादा
रखता है वह ठोस इरादा।
सबको देता अपनी किरणेंं
न किसी को कम और ज्यादा॥
</poem>
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सूरज किरणें लाता है
कलियाँ सारी खिलाता है।
अंधकार मिट जाता है
जब रोशनी वह फैलाता है॥
सूरज देखकर चिड़िया जागें
दुम दबाकर आलस भागे।
सेहत और फूर्ति के साथ
लेकर चलता वह आगे-आगे॥
सूरज है समय का वादा
रखता है वह ठोस इरादा।
सबको देता अपनी किरणेंं
न किसी को कम और ज्यादा॥
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