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उतरने की चाह / जेम्स फ़ेंटन

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क्या तुम नीचे आओगे

कभी आए भी हो नीचे

एक तीख़ी-सी हंसी

कहने को कुछ ज़्यादा न था

इन कई सालों में वह दुबले हो गए

कैसे तुमने उनको एक संकरे पिंजरे में

ढांप दिया ऊपर से

वह आख़िर सिकुड़ने की

कोशिश करें भी तो कैसे।