भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हयाते-ताज़ा से लबरेज़ कायनात हुई
तुम्हीं ने बाएसे-ग़म<ref>ग़म का कारण</ref>बारहा किया दरयाफ़्त<ref>खोज, जाँच, टोह</ref>
कहा तो रूठ गये यह भी कोई बात हुई