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तवायफ़ की तरह अपने ग़लत कामों के चेहरे पर
हकूमत मन्दिर—ओ—मस्जिद मन्दिरो-मस्जिद का पर्दा डाल देती है
हकूमत मुँह—भराई मुँह-भराई के हुनर से ख़ूब वाक़िफ़ है
ये हर कुत्ते आगे शाही टुकड़ा डाल देती है
किसी की चाह पैरों में दुपट्टा डाल देती है
ये चिड़िया भी मेरी बेटी से कितनी मिलती— मिलती-जुलती हैकहीं भी शाख़—ए—गुल शाख़े-गुल देखे तो झूला डाल देती है
भटकती है हवस दिन— दिन-रात सोने की दुकानों में
ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल देती है